< Surah Juma In Hindi Pdf | सूरह जुमा​ हिन्दी तर्जुमे के साथ
Surah Juma In Hindi Pdf | सूरह जुमा​ हिन्दी तर्जुमे के साथ

Surah Juma In Hindi Pdf | सूरह जुमा​ हिन्दी तर्जुमे के साथ

surah juma in hindi | सूरह जुमा

Surah Juma In Hindi​ | सूरह जुमा हिन्दी तर्जुमे के साथ – सूरह जुम्मा मदनी सूरत है इस में 11 आयात और 2 रुकु है 

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम 

1. युसब्बिहू लिल लाहि मा फिस सामावति वमा फिल अरज़िल मलिकिल कुद्दूसिल अजीज़िल हकीम०

2. हुवल लज़ी बअसा फिल उममिययीना रसूलम मिन्हुम यतलूना अलैहिम आयातिही व युज़क कीहिम व युअल्लिमु हुमुल किताब वल हिकमह वइन कानू मिन क़ब्लु लफ़ी ज़लालिम मुबीन ०

3. व आखरीन मिन्हुम लम्मा यल्हकू बिहिम वहुवल अज़ीजुल हकीम०

4. ज़ालिका फज़लुल लाहि युअ’ तीहि मय यशाअ वल लाहू जुल फजलिल अज़ीम०

5. मसलुल लज़ीना हुममिलुत तौराता सुम्म लम यहमिलूहा कमासलिल हिमारि यहमिलु अस्फारा बिअ, सा मसलुल कौमिल लज़ीना कज्ज़बू बिआयातिल लाह वललाहू ला यहदिल कौमज़ ज़ालिमीन०

6. कुल या अय्युहल लज़ीना हादू इन ज़अमतुम अन्नकुम अव्लियाउ लिल मिन दूनिन नासि फ़ तमन्नवुल मौत इन कुन्तुम सादिक़ीन०

7. वला यता मन नौनहू अबदम बिमा क़द्दमत ऐदीहिम वल लाहु अलीमुम बिज़ ज़ालिमीन०

8.कुल इन्नल मौतल लज़ी तफिररूना मिन्हु फ़इन्नहू मुलाक़ीकुम सुम्मा तुरददूना इला आलिमिल गैबि वश शहादति फ़ युनबबिउकुम बिमा कुन्तुम त’ अलमून०

9. या अय्युहल लज़ीना आमनू इज़ा नूदिया लिस सलाति मिय यौमिल जुमुअति फ़स औ इला ज़िकरिल लाहि वज़रुल बैअ ज़ालिकुम खैरुल लकुम इन कुन्तुम त’अलमून०

10. फ़इज़ा कुज़ियतिस सलातु फन तशिरू फ़िल अरज़ि वबतगू मिन फजलिल लाहि वज्कुरुल लाह कसीरल लअल्लकुम तुप्लिहून०

11. व इज़ा रऔ तिजारतन औ लहवनिन फज्जू इलैहा व तरूका क़ाइमा कुल मा इन्दल लाहि खैरुम मिनल लहवि वमिनत तिजारह वल लाहू खैरुर राज़िकीन०

सूरह जुमा हिन्दी तर्जुमे के साथ

तर्जमा :- 

1. अल्लाह की तस्बीह करती है हर वह चीज जो आसमानों में है और हर वह चीज जो जमीनों में है (वह सारी कायनात का) बादशाह  बेहद पाक बहुत ग़ालिब बे इन्तेहा हिकमत वाला है०

2. वही है जिसने अनपढ़ लोगों में इन्हीं में से (अज़ीम) रसूल भेजा जो इन पर इसकी आयात तिलावत करता है और इनके बातीन को साफ करता है और इनको किताब और हिक्मत की तालीम देता है और बेशक वह इससे पहले खुली गुमराही में थे०

3. और इनमें से दूसरों को भी जो अभी इन पहलों से नहीं मिले और वह बहुत ग़ालिब बेहद हिकमत वाला है०

4. यह अल्लाह का फज़ल है वह इसे जिसको चाहे आता फरमाता है और अल्लाह बहुत बड़े फज़ल वाला है

5. जिन लोगों को तैवरात दी गई और इन्होंने इस पर अमल नहीं किया इनकी मिसाल इस गधे की तरह है जिस पर किताबों का बोझ लदा हुआ है इन लोगों की कैसी बुरी मिसाल है जिन्होंने अल्लाह की आयतों की तक्ज़ीब की और अल्लाह जालिमों को हिदायत नहीं देता०

6. आप कहिए: ऐ यहूदियों! अगर तुम्हारा यह घमंड है के तमाम लोगों को छोड़ कर अल्लाह सिर्फ तुम्हारा दोस्त है पस तुम मौत की तमन्ना करो अगर तुम सच्चे हो०

7. और वह अपने पहले किए हुए करतूतो की वजह से कभी मौत की तमन्ना नहीं करेंगे और अल्लाह जालिमों को खूब जानता है०

8. आप कहिए: जिस मौत से तुम भाग रहे हो वह तुम्हें जरूर पेश आने वाली है फिर तुम इसकी तरफ लौटा दिए जाओगे जो हर गैब और शहादत का जानने वाला है पस वह तुमको खबर देगा कि तुम क्या करते रहे थे०

9. ऐ ईमान वालों! जब जुम्मा के दिन नमाज़ (जुम्मा) की अजान दी जाए तो तुम अल्लाह के जिक्र की तरफ दौड़ पढ़ो और ख़रीद फरोख्त छोड़ दो यह तुम्हारे लिए बहुत बेहतर है अगर तुम जानते हो०

10. फिर जब नमाज पढ़ ली जाए तो तुम जमीन में फैल जाओ और अल्लाह का फजल तलाश करो और अल्लाह का बहुत ज्यादा जिक्र करो ताके तुम कामयाबी हासिल करो

11. और जब इन्होंने कोई तिजारती  काफिला या तमाशा देखा तो इसकी तरफ भाग गए और आपको (खुत्बा में) खड़ा छोड़ दिया आप कहिए: अल्लाह के पास जो (अजर )है वह तमाशे और तिजारती काफिला से बेहतर है और अल्लाह सबसे बेहतर रिज्क देने वाला है

surah juma in Urdu

يُسَبِّحُ لِلَّهِ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا  فِى ٱلْأَرْضِ ٱلْمَلِكِ ٱلْقُدُّوسِ ٱلْعَزِيزِ ٱلْحَكِيمِ

 هُوَ ٱلَّذِى بَعَثَ فِى ٱلْأُمِّيِّـۧنَ رَسُولًۭا مِّنْهُمْ يَتْلُوا۟ عَلَيْهِمْ ءَايَـٰتِهِۦ وَيُزَكِّيهِمْ وَيُعَلِّمُهُمُ ٱلْكِتَـٰبَ وَٱلْحِكْمَةَ وَإِن كَانُوا۟ مِن قَبْلُ لَفِى ضَلَـٰلٍۢ مُّبِينٍۢ

وَءَاخَرِينَ مِنْهُمْ لَمَّا يَلْحَقُوا۟ بِهِمْ ۚ وَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ

٣ ذَٰلِكَ فَضْلُ ٱللَّهِ يُؤْتِيهِ مَن يَشَآءُ ۚ وَٱللَّهُ ذُو ٱلْفَضْلِ ٱلْعَظِيمِ

مَثَلُ ٱلَّذِينَ حُمِّلُوا۟ ٱلتَّوْرَىٰةَ ثُمَّ لَمْ يَحْمِلُوهَا كَمَثَلِ ٱلْحِمَارِ يَحْمِلُ أَسْفَارًۢا ۚ بِئْسَ مَثَلُ ٱلْقَوْمِ ٱلَّذِينَ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ ۚ وَٱللَّهُ لَا يَهْدِى ٱلْقَوْمَ ٱلظَّـٰلِمِينَ

قُلْ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ هَادُوٓا۟ إِن زَعَمْتُمْ أَنَّكُمْ أَوْلِيَآءُ لِلَّهِ مِن دُونِ ٱلنَّاسِ فَتَمَنَّوُا۟ ٱلْمَوْتَ إِن كُنتُمْ صَـٰدِقِينَ

وَلَا يَتَمَنَّوْنَهُۥٓ أَبَدًۢا بِمَا قَدَّمَتْ أَيْدِيهِمْ ۚ وَٱللَّهُ عَلِيمٌۢ بِٱلظَّـٰلِمِينَ

 قُلْ إِنَّ ٱلْمَوْتَ ٱلَّذِى تَفِرُّونَ مِنْهُ فَإِنَّهُۥ مُلَـٰقِيكُمْ ۖ ثُمَّ تُرَدُّونَ إِلَىٰ عَـٰلِمِ ٱلْغَيْبِ وَٱلشَّهَـٰدَةِ فَيُنَبِّئُكُم بِمَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ إِذَا نُودِىَ لِلصَّلَوٰةِ مِن يَوْمِ ٱلْجُمُعَةِ فَٱسْعَوْا۟ إِلَىٰ ذِكْرِ ٱللَّهِ وَذَرُوا۟ ٱلْبَيْعَ ۚ ذَٰلِكُمْ خَيْرٌۭ لَّكُمْ إِن كُنتُمْ تَعْلَمُونَ

فَإِذَا قُضِيَتِ ٱلصَّلَوٰةُ فَٱنتَشِرُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ وَٱبْتَغُوا۟ مِن فَضْلِ ٱللَّهِ وَٱذْكُرُوا۟ ٱللَّهَ كَثِيرًۭا لَّعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ

وَإِذَا رَأَوْا۟ تِجَـٰرَةً أَوْ لَهْوًا ٱنفَضُّوٓا۟ إِلَيْهَا وَتَرَكُوكَ قَآئِمًۭا ۚ قُلْ

مَا عِندَ ٱللَّهِ خَيْرٌۭ مِّنَ ٱللَّهْوِ وَمِنَ ٱلتِّجَـٰرَةِ ۚ وَٱللَّهُ خَيْرُ ٱلرَّٰزِقِينَ

Surah Juma In English

Bismillah-hirrahman-nirraheem

1. Yusabbihu Lillahi Ma Fis Samawati Wama Fil Arz, Al-Malikil Quddusil Azizil Hakim

2. Huwallazi Ba’asa Fil Ummiyyina Rasoolan Minhum Yatlu Alaihim Ayatihi Wa Yuzakkiihim Wa Yu’allimuhumul Kitaba Wal Hikmah, Wa In Kanu Min Qablu Lafi Zalalim Mubeen

3. Wa Aakhareena Minhum Lamma Yalhaqoo Bihim, Wahuwal Azizul Hakim

4. Zalika Fadlullahi Yu’tihi Mayyashaa, Wallahu Zul Fadlil Azeem

5. Masalullazina Hummilut Taurata Summa Lam Yahmiluha Kamathalil Himari Yahmilu Asfara, Bi’sa Masalul Qawmi Lazeena Kazzaboo Bi Ayatillah, Wallahu La Yahdil Qawmaz Zalimeen

6. Qul Ya Ayyuhallazeena Haadoo In Za’amtum Annakum Awliyaa’u Lillah Min Doonin Naasi Fatamannawul Mawta In Kuntum Sadiqeen

7. Wala Yatamannawnahu Abadan Bima Qaddamat Aydeehim, Wallahu Aleemun Biz Zalimeen

8. Qul Innal Mawtal Lazi Tafirroona Minhu Fa-innahu Mulaaqeekum, Summa Turaddoona Ila ‘Alimil Ghaibi Wash Shahadati Fayunabbi’ukum Bima Kuntum Ta’lamoon

9. Ya Ayyuhallazeena Amanoo Iza Noodiya Lis Salati Min Yawmil Jumu’ati Fas’au Ila Zikrillah Wa Zarul Bai’a, Zalikum Khairul Lakum In Kuntum Ta’lamoon

10. Faiza Qudiyatiss Salatu Fantashiroo Fil Ardi Wabtaghoo Min Fadlillah Wazkurullaha Kaseeran La’allakum Tuflihoon

11. Wa Iza Ra’au Tijaratan Aw Lahwanin Fadhdu Ilaiha Wa Tarakooka Qa’iman, Qul Ma ‘Indallahi Khairum Minal Lahwi Waminat Tijarah, Wallahu Khairur Raziqeen

सूरह जुमा का तफसीर

तफसीर -अल्लाह ताला का इरशाद है: अल्लाह की तस्बीह करती है हर वह चीज जो आसमानों में है और हर वह चीज जो जमीनों में है (वह सारे कायनात का) बादशाह बेहद पाक बहुत ग़ालिब बे इंतेहा हिकमत वाला है ० वही है जिसने अनपढ़ लोगों में इन्हीं में से (अज़ीम) रसूल भेजा जो इन पर इसकी आयात तिलावत करता है और इनके बातिन को साफ करता है और इनको किताब और हिकमत की तालीम देता है ‘और बेशक वह इस से पहले खुली गुमराह ही में थे ० और इनमें से दूसरों को भी जो अभी इन पहलो से नहीं मिले’ और वह बहुत ग़ालिब बेहद हिकमत वाला है, ० यह अल्लाह का फजल है वह इसे जिसको चाहे आता फरमाता है और अल्लाह बहुत बड़े फजल वाला है० अल (जुम्मा 1-4) 

नबी अकरम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम की सिफात- 

अल जुम्मा :1 में अल्लाह ताला की तस्बीह और इसकी अज़ीम सीफात का बयान फरमाया और उनकी तफसीर कई बार मोतअद सूरतो में जा चुकी है- 

अल जुम्मा:2 में रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम की सिफात बयान फरमाई है एक सिफत यह है कि आप अमीन के रसूल हैं’अहले मक्का को अमीन कहा जाता था’इसकी एक वजह यह थी के वह यहूद और नसारा की तरह अहल किताब नहीं थे’दूसरी वजह यह थी के इनमें से अक्सर पढ़ने लिखने वाले ना थे’हज़रत इब्ने अब्बास रज़ी अल्लाह ताला अन्हुमा ने फरमाया: इनके पास किताब थी ना इनमें कोई नबी भेजा गया थातीसरी वजह यह है कि वह जिस तरह अपनी मां के बतन से पैदा हुए थे वह इसी हालत पर थेचौथी वजह यह है कि वह मक्का मुकर्रमा के रहने वाले थेइन वजहोंकी वजह से इनको अमीन कहा जाता था 

दूसरी सिफत यह है कि आप इन्हीं में से थे यानी इनकी नसब से थे और इनकी जींस से थे कुराने मजीद में है:  

तर्जमा–बेशक तुम्हारे पास एक अज़ीम रसूल तुम में से आए हैं (अल तौबा:128) 

तर्जमा–बेशक अल्लाह ने मोमिनो पर एहसान फरमाया क्योंकि इसने इन्हीं में से इनमें एक (अज़ीम )रसूल भेजा और यह अल्लाह का एहसान इसलिए है कि इसनेनूई इंसान और बशर में से रसूल भेजाफरिश्ते या जिन को इनमें से रसूल बनाकर नहीं भेजावरना इंसान इससे इस्तीफादा ना कर सकते और इसके अफआल इनके लिए नमूना और हुज्जत ना होते– 

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