Surah Fatiha In Hindi / सूरह फातिहा
Surah Fatiha In Hindi | सूरह फातिहा के बहुत इस्मा है और किसी चीज के ज्यादा इस्मा इस चीज की ज्यादा फजीलत और सर्फ पर दलालत करते हैं इस से मालूम हुआ के सूरह फातिहा बहुत सर्फ और मर्तबा वाली सूरत है इन इस्मा की तफसील हस्फ जेल है।
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
1. अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन
ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
2. अर्रहमानिर्रहीम
ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ
3. मालिकि यौमिद्दीन
مَـٰلِكِ يَوْمِ ٱلدِّينِ
4. इय्या-क न बुदु व इय्या-क नस्तीइन
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
5. इहदिनस्सिरातल्-मुस्तकीम
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
6. सिरातल्लज़ी-न अन्अम्-त अलैहिम गैरिल्-मग़जूबि अलैहिम् व लज्जॉल्लीन
صِرَٰطَ ٱلَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ ٱلْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا ٱلضَّآلِّينَ
Surah Fatiha In Hindi / सूरह फातिहा का तर्जुमा
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
( अल्लाह ही के नाम से शुरू जो नेहायत रहम फरमाने वाला बहुत मेहरबान है )
1. अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन
तमाम तरीफे अल्लाह ही के लायक है जो तमाम जहानों का रब है
2. अर्रहमानिर्रहीम
निहायत रहम फरमाने वाला बहुत मेहरबान है
3. मालिकि यौमिद्दीन
रोज़े जज़ा का मालिक है
4. इय्या-क न बुदु व इय्या-क नस्तीइन
(ऐ परवरदिगार) हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ से ही मदद चाहते हैं
5. इहदिनस्सिरातल्-मुस्तकीम
हम को सीधा रास्ता पर चला
6. सिरातल्लज़ी-न अन्अम्-त अलैहिम
इन लोगों का रास्ता जिन लोगों पर तूने ईनाम फरमाया
7.गैरिल्-मग़जूबि अलैहिम् व लज्जॉल्लीन
ना इन लोगों का रास्ता जिन पर गज़ब हुआ और ना गुमराहों का
Surah Fatiha In Arabic
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ
ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ
مَـٰلِكِ يَوْمِ ٱلدِّينِ
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
صِرَٰطَ ٱلَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ ٱلْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا ٱلضَّآلِّينَ
Surah Fatiha In English
Bismillah-hirrahman-nirraheem
1. Alhamdu Lillahi Rabbil Aalameen
2. Ar-Rahmanir-Raheem
3. Maaliki Yawmid-Deen
4. Iyyaka Na’budu Wa Iyyaka Nasta’een
5. Ihdinas-Siratal-Mustaqeem
6. Siratal-lazeena an’amta ‘alayhim
7. Ghayril-Maghdoobi ‘alayhim wa laddalleen
1. फातिहा अल किताब:-
फातिहा अल किताब के साथ इस सूरत को इसलिए मौसूम किया गया है के मुशहफ का इफ्तेताह इस सूरत से होता है। तालीम की इब्तेदा भी इस सूरत से होती है और नमाज में फुरात का इफ्तेताह भी इस सूरत से होती है और एक कॉल के मुताबिक किताबबुल्लाह की सबसे पहले यही सूरत नाजिल हुई थी और बे कसरत अहादिस में तसरीह है के नबी ए अकरम सल्लल्लाहो ताला अल्लहे वसल्लम ने इस सूरत को फातिहा अल किताब फरमाया।