Sone Ki Dua / सोने की दुआ
” अल्लाहुम्मा बिस्मिका अमुतु वा अहया “
اَللّٰھُمَّ بِاسْمِكَ أَمُوتُ وَأَحْيَا
“Allahumma Bismika Amutu Wa Ahya”
तर्जमा– अए अल्लाह तेरा नाम लेकर मैं मरता और जीता हूं
Sone Ki Dua in hindi
” अल्लाहुम्मा बिस्मिका अमुतु वा अहया “
तर्जमा– अए अल्लाह तेरा नाम लेकर मैं मरता और जीता हूं
Sone Ki Dua In English
“Allahumma Bismika Amutu Wa Ahya”
Sone Ki Dua In Urdu
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيم
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वलीमा और ज़ियाफ्त का ब्यान
मेहमान की खातिरदारीः
और फरमाया जो शख़्स अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखता है वह मेहमान का इकराम करे एक दिन रात उसका जायज़ा है यानी एक दिन उसकी पूरी खातिर दारी करे अपने मकदूर भर उसके लिये तकल्लुफ का खाना तैयार कराये जियाफत तीन दिन है यानी एक दिन के बाद जो है पेश करें और तीन दिन के बाद सदका है। मेहमान के लिये यह हलाल नहीं कि उसके यहां ठहरा रहे कि उसे हर्ज में डाल दे।
वलीमा की तारीफ और हुक्मः
मसला : दावते वलीमा सुन्नत है, वलीमा यह है कि शबे जफाफ की सुबह को अपने दोस्त, अहबाब, अजीज़ व अकारिब और मुहल्ला के लोगों की हस्बे इस्तेतआत ज़ियाफ्त करे और उसके लिये जानवर ज़िबह करना और खाना तैयार करना जायज़ है और जो लोग बुलाये जायें उनको जाना चाहिये कि उनका जाना उसके लिये मुसर्रत का बाईस होगा, वलीमा में जिस शख्स को बुलाया जाये उसको जाना सुन्नत है या वाजिब। उलेमा के दोनों कौल हैं बज़ाहिर यह मालूम होता है कि इजाबत सुन्नत मुअक्किदा है वलीमा के अलावा दूसरी दावतों में भी जाना अफज़ल है और यह शख्स अगर रोज़ादार न हो तो खाना अफज़ल है कि अपने मुस्लिम भाई खुशी में शिरकत और उसका दिल खुश करना है और रोज़ादार हो जब भी जाये और साहबे खाना के लिये दुआ करे, और वलीमा के सेवा दूसरी दावतों का भी यही हुक्म है कि रोजादार न हो तो खाये वरना उसके लिये दुआ करे।
मसला : दावते वलीमा का यह हुक्म जो ब्यान किया गया है उस वक्त है कि दावत करने वालों का मकसूद अदाए सुन्नत हो और अगर मकसूद तफाखुर हो या यह कि यह मैरी वाह वाही होगी जैसा कि इस ज़माना में अक्सर यही देखा जाता है तो ऐसी दावतों में न शरीक होना बेहतर है, खुसूसन अहले इल्म को ऐसी जगह न जाना चाहिये।