< Sone Ki Dua In Hindi, Urdu, Eng | सोने की दुआ हिंदी मे
Sone Ki Dua | सोने की दुआ हिंदी मे

Sone Ki Dua In Hindi, Urdu, Eng | सोने की दुआ हिंदी मे

Sone Ki Dua / सोने की दुआ

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

” अल्लाहुम्मा बिस्मिका अमुतु वा अहया “

اَللّٰھُمَّ بِاسْمِكَ أَمُوتُ وَأَحْيَا

“Allahumma Bismika Amutu Wa Ahya”

तर्जमा– अए अल्लाह तेरा नाम लेकर मैं मरता और जीता हूं

Sone Ki Dua | सोने की दुआ हिंदी मे

Sone Ki Dua in hindi

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

” अल्लाहुम्मा बिस्मिका अमुतु वा अहया “

तर्जमा– अए अल्लाह तेरा नाम लेकर मैं मरता और जीता हूं

Sone Ki Dua In English

Bismillāhir-raḥmānir-raḥīm

“Allahumma Bismika Amutu Wa Ahya”

Sone Ki Dua In Urdu

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيم

اَللّٰھُمَّ بِاسْمِكَ أَمُوتُ وَأَحْيَا

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वलीमा और ज़ियाफ्त का ब्यान
हज़रत अनस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अब्दुर्रहमान बिन औफ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु पर ज़र्दी का असर देखा यानी खलूक का रंग उनके बदन या कपड़ों पर लगा हुआ देखा फ़रमाया यह क्या है (यानी मर्द के बदन पर इस रंग को न होना चाहिये यह क्यों कर लगा) अर्ज़ की मैंने एक औरत से निकाह किया है (उसके बदन से यह ज़र्दी छूटकर लग गयी) फरमाया अल्लाह तआला तुम्हारे लिये मुबारक कर, तुम वलीमा करो अगरचे एक बकरी से या एक ही बकरी से। हज़रत अनस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु कहते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जैसा हज़रत ज़ैनब रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के निकाह पर वलीमा किया ऐसा वलीमा अज़वाजे मुतहहरात में से किसी का नहीं किया। एक बकरी से वलीमा किया, यानी तमाम वलीमों में सबसे बड़ा वलीमा था कि एक पूरी बकरी का गोश्त पका था। दूसरी रिवायत उन्हीं से है कि हज़रत ज़ैनब बिन्त हजश रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के ज़फाफ़ के बाद जो वलीमा किया था लोगों को पेट भर रोटी गोश्त खिलाया था।
वलीमे का कौन सा खाना बुरा है?
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया बुरा खाना वलीमा का खाना है जिसमें मालदार लोग बुलाये जाते हैं। और फुकरा छोड़ दिये जाते हैं। और जिसने दावत को तर्क किया यानी बिला सबब इंकार किया उसने अल्लाह व रसूल की नाफ़रमानी की। एक रिवायत में है वलीमा का खाना बुरा खाना है कि जो उसमें आता है उसे मना करता है और उसको बुलाया जाता है जो इंकार करता है और जिसने दावत कबूल नहीं की उसने अल्लाह व रसूल की नाफरमानी की, और उसने कबूल न की उसने अल्लाह व रसूल की नाफरमानी की। और बगैर बुलाये गया तो चोर होकर घुसा और गारतगरी करके निकला। और फरमाया  शादियों में पहले दिन का खाना हक है यानी साबित है उसे करना ही चाहिये और दिन का खाना सुन्नत है और तीसरे दिन का खाना सुमअ यानी सुनाने और शोहरत के लिये है जो सुनाने के लिये कोई काम करेगा, अल्लाह तआला उसको सुनायेगा यानी उसकी सज़ा देगा, और फरमाया जो दो शख्स दावत देने एक वक़्त आयें तो जिसका दरवाज़ा तुम्हारे दरवाजे से करीब हो उसकी दावत कबूल करो, और अगर एक पहले आया जो पहले आया उसकी कबूल करो।
मेहमान की खातिरदारीः

और फरमाया  जो शख़्स अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखता है वह मेहमान का इकराम करे एक दिन रात उसका जायज़ा है यानी एक दिन उसकी पूरी खातिर दारी करे अपने मकदूर भर उसके लिये तकल्लुफ का खाना तैयार कराये जियाफत तीन दिन है यानी एक दिन के बाद जो है पेश करें और तीन दिन के बाद सदका है। मेहमान के लिये यह हलाल नहीं कि उसके यहां ठहरा रहे कि उसे हर्ज में डाल दे।

वलीमा की तारीफ और हुक्मः

मसला : दावते वलीमा सुन्नत है, वलीमा यह है कि शबे जफाफ की सुबह को अपने दोस्त, अहबाब, अजीज़ व अकारिब और मुहल्ला के लोगों की हस्बे इस्तेतआत ज़ियाफ्त करे और उसके लिये जानवर ज़िबह करना और खाना तैयार करना जायज़ है और जो लोग बुलाये जायें उनको जाना चाहिये कि उनका जाना उसके लिये मुसर्रत का बाईस होगा, वलीमा में जिस शख्स को बुलाया जाये उसको जाना सुन्नत है या वाजिब। उलेमा के दोनों कौल हैं बज़ाहिर यह मालूम होता है कि इजाबत सुन्नत मुअक्किदा है वलीमा के अलावा दूसरी दावतों में भी जाना अफज़ल है और यह शख्स अगर रोज़ादार न हो तो खाना अफज़ल है कि अपने मुस्लिम भाई खुशी में शिरकत और उसका दिल खुश करना है और रोज़ादार हो जब भी जाये और साहबे खाना के लिये दुआ करे, और वलीमा के सेवा दूसरी दावतों का भी यही हुक्म है कि रोजादार न हो तो खाये वरना उसके लिये दुआ करे।

मसला : दावते वलीमा का यह हुक्म जो ब्यान किया गया है उस वक्त है कि दावत करने वालों का मकसूद अदाए सुन्नत हो और अगर मकसूद तफाखुर हो या यह कि यह मैरी वाह वाही होगी जैसा कि इस ज़माना में अक्सर यही देखा जाता है तो ऐसी दावतों में न शरीक होना बेहतर है, खुसूसन अहले इल्म को ऐसी जगह न जाना चाहिये।

दावत में जाना कब सुन्नत है?
मसला : दावत में जाना उस वक़्त सुन्नत है जब मालूम हो कि वहां गानाबजाना, लहह्य लअब नहीं है और अगर मालूम है कि यह खुराफात वहां है तो न जायें, जाने के बाद मालूम हुआ कि यहां यह लगवियात है अगर वहां यह चीजें हों तो वापस आ जाये और अगर मकान के दूसरे हिस्से में है जिस जगह खाना खिलाया जाता है वहां नहीं तो वहां बैठ सकता है और खा सकता है फिर अगर यह शख़्स उन लोगों को रोक सकता है तो रोक दे और इसकी कुदरत उसे न हो तो सब्र करे, यह उस सूरत में है कि यह शख़्स मज़हबी पेशवा न हो और अगर मुक्तदा व पेशवा हो मसलन उलेमा व मशाइख यह अगर न रोक सकते हों तो वहां से चले आयें न वहां बैठे न खाना खायें और अगर पहले ही से यह मालूम हो कि वहां वह चीजें हैं तो मुक़्तदा हो या न हो किसी को जाना जायज़ नहीं अगरचे खास उस हिस्सा मकान में यह चीजें न हों बल्कि दूसरे हिस्सा में हों।
 
मसला : अगर वहां लह्य लअब हो और यह शख़्स जानता है कि मेरे जाने से यह चीजें बंद हो जायेंगी तो उसको इस नीयत से जाना चाहिये कि उसके जाने से मुनकिराते शरईया रोक दिये जायेंगे और अगर मालूम है कि वहां न जाने से उन लोगों को नसीहत होगी और ऐसे मौके पर यह हरकतें न करेंगे क्योंकि वह लोग उसकी शिर्कत को ज़रूरी जानते हैं और जब यह मालूम होगा कि अगर शादियों और तकरीबों में यह चीजें होंगी तो वह शख्स शरीक न होगा तो उस पर लाजिम है कि वहां न जाये ताकि लोगों को इबरत हो और ऐसी हरकतें न करें।
वलीमे की मुद्दतःमसला : दावते वलीमा सिर्फ पहले दिन है या उसके बाद दूसरे दिन भी यानी दो ही दिन तक यह दावत हो सकती है इसके बाद वलीमा और शादी खत्म। हिन्दुस्तान में शादियों का सिलसिला कई दिनों तक कायम रहता है सन्नत से आगे बढ़ना रिया व सुमअ है इससे बचना ज़रूरी है।
 
 
 
 
 

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