< Safar Ki Dua In Hindi, Urdu, English। सफर की दुआ
Safar Ki Dua In hindi

Safar Ki Dua In Hindi, Urdu, English। सफर की दुआ

Safar Ki Dua / सफ़र की दुआ

हर मुसलमान को Safar Ki Dua पढ़नी चाहिए, जो एक अहम दुआ है इस दुआ को पढ़ने से अल्लाह तआला सफर में हादसों से हमारी हिफाज़त फरमाता है। यह दुआ हमें मुसीबतों और खतरनाक हालात से महफूज से बचाते हुए हमारी सफर को आसान और सुखद बनाती है।

Safar Ki Dua आप इस तरह से पढ़े। इस पोस्ट में सफर की दुआ Hindi, English, Urdu में लिखा हुआ हैं।

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيم

 .سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَـٰذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ وَإِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا لَمُنقَلِبُونَ 

” सुब्हानल्ल्जी सख्खर लना हज़ा वामा कुन्ना लहू मुकरिनीन, व इन्ना इला रब्बिना लमूनक्लिबून “

“Subhanaalladhi sakh-khara lana hadha wa ma kunna lahu muqrinin. Wa inna ila Rabbi-na la munqalibun”.

Safar Ki dua In hIndi

Safar Ki Dua in hindi सफ़र की दुआ
Safar ki Dua In Hindi

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

सुब्हानल्ल्जी सख्खर लना हज़ा वामा कुन्ना लहू मुकरिनीन, व इन्ना इला रब्बिना लमूनक्लिबून

तर्जुमा – अल्लाह पाक है जिस ने इस को हमारे कब्जे में दे दिया और हम इसकी कुदरत के बगैर इसे कब्जा में करने वाले ना थे और बिलासुबह हमको अपने रब की तरफ जाना है।

Safar Ki dua In English

Safar Ki Dua in English सफ़र की दुआ
Safar ki Dua In English

Bismillāhir-raḥmānir-raḥīm

“Subhanaalladhi sakh-khara lana hadha wa ma kunna lahu muqrinin. Wa inna ila Rabbi-na la munqalibun”.

Tarjuma – “Allah paak hai jis ne isko humare qabze mein de diya aur hum iski qudrat ke bagair isay qabze mein karne wale na thay, aur bilashuba humein apne Rab ki taraf jaana hai.”

Safar Ki dua In Urdu

Safar Ki Dua in urdu सफ़र की दुआ
Safar ki Dua In Urdu

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيم

 .سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَـٰذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ وَإِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا لَمُنقَلِبُونَ 

सुब्हानल्लाज़ी सख्ख-र-लना हाज़ा वमा कुन्ना लहू मुकरिनीन, व इन्ना इला रब्बिना लमुन्कलिबून

सफर की दुआ मुख्य रूप से सफर शुरू करने से पहले, सवारी पर बैठने के बाद, ऊंचाई पर चढ़ते समय, नीचे उतरते समय, सफर में ठहरने पर और सफर से वापसी पर पढ़ी जाती है।

सफर की दुआ का असर यह होता है कि मुसाफिर को हिफाज़त और हिदायत मिलती है। यह दुआ मुसाफिर को नुकसान और बुराइयों से बचाती है और उसके मंज़िल तक सलामत पहुंचने में मदद करती है।

आप यहाँ पर सवारी में नमाज़ के मसाइल पढ़ सकते हैं

सवारियों पर नमाज़ पढ़ने का ब्यान

चाहे शरई मुसाफिर हो या न हो जब सवारी पर कहीं जा रहा हो तो शहर की हदों से निकल कर सवारी पर भी नफ़्ल पढ़ सकता है कि सवारी पर बैठे बैठे इशारे से पढ़े यानी सज्दे के लिये रुकू से ज़्यादा झुके सर ज़ीन पर न रखे अगर ज़ीन पर सज्दा किया या कोई चीज़ आगे रखकर उस पर सज्दा किया तो जायज़ नहीं और जिस तरफ सवारी जाती हो उसी तरफ मुंह करके पढ़े दूसरी तरफ मुंह करके पढ़ना जायज़ नही यहां तक कि तकबीरे तहरीमा के वक़्त भी किब्ला को मुंह होना ज़रूरी नहीं।

मसला : सवारी पर नफ़्ल पढ़ने की हालत में अगर अमले कलील से सवारी को हांका मसलन एक पांव से ऐड़ लगाई या हाथ में कोड़ा है उससे डराया तो हर्ज नहीं और बिला जरूरत जायज़ नहीं।

मसला : फर्ज़ और वाजिब नमाज़ें और फज़्र की सुन्नत और जनाजे की नमाज़ और मन्नत की नमाज़ और वह सज्दए तिलावत जिसकी आयत ज़मीन पर पढ़ी और वह नफ़्ल जिसको ज़मीन पर शुरू करके तोड़ दिया। यह सब नमाज़े सवारी पर बिला उज जायज़ नहीं और जब उज़ की हालत में इन सब की अदा के लिये यह शर्त है कि अगर हो सके तो सवारी को किब्ला रुख खड़ा करके पढ़े वरना जैसे बन पड़े अदा करे।

किन उजों में सवारी पर नमाज़ हो सकती है?

सवारी पर जिन उज़्र से इन सब मजकूरा बाला नमाज़ों का पढ़ना जायज़ हो जाता है वह उज़्र यह है :

१. पानी बरस रहा है।

२. इतनी कीचड़ है कि उतरकर पढ़ेगा तो मुंह धंस जायेगा या कीचड़ में भर जायेगा या जो कपड़ा बिछायेगा वह बिल्कुल लुथड़ जायेगा और इस सूरत में अगर सवारी न हो तो खड़े खड़े इशारे से पढ़े।

३. साथी चलें जायेंगे।

४. या सवारी का जानवर शरीर है सवार होने में दुश्वारी होगी मददगार की ज़रूरत होगी और मददगार मौजूद नहीं।

५. मर्ज़ में ज़्यादती होगी।

६. जान जाने का खतरा हो।

७. माल चले जाने या औरत को आबरू का डर हो।

चलती गाड़ी पर नमाज़ का हुक्मः

मसला : चलती रेल पर भी फर्ज़ और वाजिब और फ्ज़ की सुन्नत नहीं हो सकती इसलिये जब स्टेशन पर गाड़ी ठहरे उस वक़्त यह नमाज़ें पढ़े और अगर देखे कि वक़्त जाता है तो जिस तरह भी मुमकिन हो पढ़ ले फिर जब मौका मिले तो इआदा करे (कि जहां मिन जेहतिलएबाद कोई शर्त या रुक्न मफकूद (ग़ायब) हो उसका यही हुक्म है। (बहारे शरीअत)

तहकीक व तम्बीह :चलती रेल को चलती कश्ती और जहाज़ के हुक्म में तसव्वुर करना गलती है इसलिये कि कश्ती अगर ठहराई भी जाये जब भी ज़मीन पर न ठहरेगी और रेलगाड़ी ऐसी नहीं और कश्ती पर भी उसी वक़्त नमाज़ जायज़ है जब वह बीच दरिया में हो अगर किनारे पर हो और खुश्की पर आ सकता हो तो इस पर भी जायज़ नहीं।

कश्ती या जहाज़ पर नमाज़ के अहकामः

मसलाः चलती हुई कश्ती या जहाज़ में बिला उज्ज बैठकर नमाज़ सही नही जबकि उतरकर खुश्की में पढ़ सके।

मसलाः अगर कश्ती ज़मीन पर बैठ गई हो तो उतरने की ज़रूरत नही उसी पर पढ़ सकता है।

मसलाः कश्ती किनारे पर बंधी है और उतर सकता है तो उतर कर खुश्की में पढ़े और अगर न उतर सके तो कश्ती ही में खड़े होकर पढ़े।

मसलाः अगर कश्ती बीच दरिया में लंगर डाले हुए है तो बैठकर उस वक़्त पढ़ सकते हैं जबकि हवा के तेज़ झोंके लगते हों कि खड़े होने में चक्कर आने का डर हो और अगर हवा से ज़्यादा हरकत न हो बैठकर नहीं पढ़ सकते।

मसलाः और कश्ती पर नमाज़ पढ़ने में किब्ला रु होना लाज़िम है और जब कश्ती घूम जाये तो नमाज़ी भी घूम जाये कि किब्ला को मुंह रहे और अगर इतनी तेज़ गर्दिश है कि किब्ला को मुंह करने से आजिज़ है तो उस वक़्त मुलतवी रखे हां अगर वक़्त जाता देखे तो पढ़ ले।

 

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