< Humbistari Ki Dua​ In Hindi | हमबिस्तरी की दुआ सही हदीस के मुताबिक
Humbistari Ki Dua​ In Hindi | हमबिस्तरी की दुआ सही हदीस के मुताबिक

Humbistari Ki Dua​ In Hindi | हमबिस्तरी की दुआ सही हदीस के मुताबिक

Humbistari ki Dua | हमबिस्तरी की दुआ

Humbistari Ki Dua​ | हमबिस्तरी की दुआ सही हदीस के मुताबिक

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

बिस्मिल्लाहि अल्लाहुम्मा जन्निब्नश्शैतानाजन्निबिशैताना मा रज़कतना 

بِسْمِ اللَّهِ اللَّهُمَّ جَنِّبْنَا الشَّيْطَنَجَنْبِ الشَّيْطَنَ مَا رَزَقْتَنَا 

“Bismillah Allahumma jannibna ash-shayateena wa jannib ash-shayateena ma razaqtana.”

तर्जुमामैं अल्लाह का नाम लेकर यह काम करता हूंअल्लाह हमें शैतान से बचा और जो औलाद तू हमको दे इस से भी शैतान को दूर रख 

नोट:—इस दुआ को पढ़ लेने के बाद इस वक्त की हमबिस्तरी से जो औलाद पैदा होगी शैतान इसे कभी जरर ना पहुंचा सकेगा ( बुखारी वा मुस्लीम ) 

फायदा:—इसको जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि हमबिस्तरी के वक्त अल्लाह का नाम न लेने से शैतान का नुत्फा भी मर्द के नुत्फे के साथ अंदर चला जाता है ( कजाफी हासिया अल हुस्न) 

Humbistari Ki Dua​ In Hindi

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

बिस्मिल्लाहि अल्लाहुम्मा जन्निब्नश्शैतानाजन्निबिशैताना मा रज़कतना

तर्जुमामैं अल्लाह का नाम लेकर यह काम करता हूंअल्लाह हमें शैतान से बचा और जो औलाद तू हमको दे इस से भी शैतान को दूर रख 

Humbistari Ki Dua​ In Arabic

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

بِسْمِ اللَّهِ اللَّهُمَّ جَنِّبْنَا الشَّيْطَنَجَنْبِ الشَّيْطَنَ مَا رَزَقْتَنَا 

Humbistari Ki Dua​ In English

Bismillāhir-raḥmānir-raḥīm

“Bismillah Allahumma jannibna ash-shayateena wa jannib ash-shayateena ma razaqtana.”

आप और इल्म के इज़ाफ़े के लिए ये भी पढ़ सकते हैं

किन बातों से गुस्ल फर्ज़ होता है?

जिन चीज़ों से गुस्ल फर्ज़ होता है वह पांच बातें हैं

१. मनी का अपनी जगह से शहवत के साथ जुदा होकर उज्व से निकलना।

२. एहतेलाम यानी सोते में मनी का निकल जाना।

३. शर्मगाह में हश्फा (सुपारी जैसा हिस्सा) तक चला जाना ख़्वाह शहवत से हो या बिला शहवत इंज़ाल हो या न हो दोनों पर गुस्ल फर्ज़ करता है।

४. हैज यानी माहवारी खून से फ्रागत पाना।

५. निफास यानी बच्चा जनने पर जो खून आता है उससे फारिग होना।

मसला : मनी शहवत के साथ अपनी जगह से जुदा न हुई बल्कि बोझ उठाने या बुलंदी से गिरने की वजह से निकली तो गुस्ल वाजिब नहीं अलबत्ता वुजू जाता रहेगा।

मसला : अगर मनी पतली पड़ गई कि पेशाब के वक़्त या वैसे ही कुछ क्तरे बिला शहवत निकल आयें तो गुस्ल वाजिब नहीं हो वुजू टूट जायेगा।

मसला : जुमा, ईद, बक्रईद के लिये अरफा के दिन और एहराम बांधने के वक़्त नहाना सुन्नत है।

बे गुस्ल क्या काम कर सकता है और क्या नहीं?

मसला : जिसको नहाने की ज़रूरत हो उसको मस्जिद में जाना, तवाफ करना, कुरआन मजीद छूना अगरचे इसका सादा हाशिया या जिल्द ही क्यों न हो। बे छुए देखकर या ज़बानी पढ़ना या किसी आयत का लिखना या अंगूठी छूना या पहनना जिस पर हुरूफ मुकत्तेआत हों यह सब हराम है।

मसला : अगर कुरआन शरीफ जुज़दान में हो या रुमाल वगैरह किसी अलग कपड़े में लिपटा हो तो उस पर हाथ लगाने में हर्ज नहीं।

मसला : अगर कुरआन शरीफ की आयत कुरआन की नीयत से न पढ़ी तो हर्ज नहीं जैसे तबर्रुक के लिये “बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम” पढ़ी या शुक्र के लिये “अलहम्दोलिल्लाहि रब्बिल आलेमीन” या मुसीबत व परेशानी में “इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन” पढ़ी या सना की नीयत से सुरह फातेहा या आयतल कुर्सी या ऐसी ही कोई आथत पड़ी तो कुछ हर्ज नहीं जबकि कुरआन पढ़ने की नीयत न हो।

मसला: वे चुजू कुरआन मजीद या उसकी किसी आयत का छूना हराम है वे छुए देखकर या जबानी पड़े तो कोई हर्ज नहीं।

मसला: कुरआन मजीद देखने में उन सब पर कुछ हर्ज नहीं अगरचे हर्फ पर नज़र पड़े और अल्फाज समझ में आयें और ख्याल में पढ़ते जायें।

मसला: उन सबको फिकह व हदीस व तफसीर की किताबी का छूना मकरूह है।

किस पानी से वुजू और गुस्ल जायज़ है और किससे नहीं?

बारिश, समुन्द्र, दरिया, नदी, नाले, चश्मे, कूयें, बड़े हौज और बड़े तालाब और बहता हुआ पानी, ओला और बर्फ इन सब पानियों से वुजू और गुस्ल और हर किस्म की तहारत जायज है।

बहते हुए पानी की तारीफ और अहकाम

बहता हुआ पानी वह है जो तिनके को बहा ले जाये। यह पाक और पाक करने वाला है। नजासत पड़ने से नापाक न होगा जब तक यह नजासत उसके रंग या बू या मज़ा को न बदल दे। अगर नजिस चीज से रंग या बू या मज़ा बदल गया तो नापाक हो गया। अब यह उस वक्त पाक होगा कि नजासत नीचे तह में बैठ जाये और यह तीनों बातें ठीक हो जायें या इतना पाक पानी मिले कि मजासत को बहा ले जाये या पानी के रंग, बू, मज़े ठीक हो जायें और अगर पाक चीज़ ने रंग, बू मजा को बदल दिया तो वुजू व गुस्ल इससे जायज है जब तक चीज़ दीगर न हो जाये।

बड़े हौज़ और दह दर दह की तारीफ और अहकाम

मसला: दस हाथ लंबा दस हाथ चौड़ा पानी जिस हौज या तालाब में हो यह दह दर दह या बड़ा हौज़ कहलाता है। यूं ही अगर बीस हाथ लंबा और पांच हाथ चौड़ा हो या पच्चीस हाथ लंबा और चार हाथ चौड़ा हो गर्ज कुल लंबाई चौड़ाई का हासिले ज़रब सौ हो और अगर गोल हो तो गोलाई तक्रीबन साढ़े पैतीस हाथ हो और गरहाई इतनी काफी है कि इतनी सतह में कहीं से जमीन खुली न हो ऐसे हौज का पानी बहते पानी के हुक्म में है। नजासत पड़ने से नापाक न होगा जब तक नजासत की वजह से रंग या बू या मज़ा न बदल जाये।

मसला: बड़े हौज में ऐसी नजासत पड़ी जो दिखाई न दे जैसे शराब, पेशाब तो इमसें हर तरफ से वुजू कर सकते हैं और अगर देखने में आती हो जैसे पाखाना या मरा हुआ जानवर तो जिस तरफ वह नजासत है उस तरफ बुजू न करना बेहतर है दूसरी तरफ से दुजू करे।

मसला बड़े हौज में एक साथ बहुत से लोग बुजू कर सकते हैं अगरचे बुजू का पानी इसमें गिरता हो लेकिन नाक, थूक, खखार, कुल्ली इसमें न डालना चाहिये कि नज़ाफत (पाकीजगी. सफाई) के खिलाफ है।

मसला: जो पानी बुजू या गुस्ल करने में बदन से गिरा वह पाक है मगर उससे बुजू और गुस्ल जायज़ नहीं।

मसला: अगर वे बुजू शख्स का हाथ या उंगली या पौरा या नाखून या बदन का कोई टुकड़ा जो वुजू में घोया जाता है बकसद या बिला कसद यह दर दह से कम पानी में वे चोये हुए पड़ जाये तो वह पानी बुजू और गुस्ल के लायक न रहा इसी तरह जिस शख्स पर नहाना फर्ज है उसके जिस्म का कोई हिस्सा बिला घुला हुआ पानी से छू जाये तो वह पानी वुजू और गुस्ल के काम का न रहा। और अगर घुला हुआ हाथ या बदन का कोई हिस्सा पड़ जाये तो हर्ज नहीं।

मसला पानी में हाथ पड़ गया या और किसी तरह मुस्तामल हो गया।

अब यह चाहें कि यह काम का हो जाये तो अच्छा पानी उससे ज्यादा उसमे मिला दें और इसका यह तरीका भी है कि उसमें एक तरफ से पानी डालें कि

दूसरी तरफ से बह जाये तो सब पानी काम का हो जायेगा।

मसला: छोटे छोटे गड्‌ढ़ों में पानी है और उसमें नजासत पड़ना मालूम नहीं तो उससे वुजू जायज़ है।

मसला: काफिर की खबर कि यह पानी पाक या नापाक है दोनों सूर में पानी पाक रहेगा कि यह उसकी असली हालत है।

मसला : किसी दरख्त या फल के निचोड़े हुए पानी से वुजू जायज़न जैसे केले या तरबूज़ का पानी और गन्ने का रस।

मसला: जिस पानी में थोड़ी सी कोई चीज मिल गयी जैसे गुलाब, केळ जाफ्रान, मिट्टी, बालू तो इससे वुजू व गुस्ल जायज़ है।

मसला : कोई रंग या जाफरान पानी में इतना पड़ गया कि कपड़ा के काबिल हो गया तो उससे वुजू व गुस्ल जायज नहीं।

मसला : पानी में इतना दूध पड़ गया कि दूध के ऐसा रंग हो गया तो

गुस्ल जायज नहीं।

 

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