< Baitul Khala Jane Ki Dua In Hindi । बैतूल खला जाने की दुआ
Baitul Khala Jane Ki Dua In Hindi । बैतूल खला जाने की दुआ

Baitul Khala Jane Ki Dua In Hindi । बैतूल खला जाने की दुआ

Baitul Khala Jane Ki Dua

Baitul Khala Jane Ki Dua | बैतुल खुला में दाख़िल होने से पहले पढ़ने की दुआ 

जब बैतूल खुला जाए तो दाखिल होने से पहले बिस्मिल्लाह कहें, 

हदीस शरीफ में है के शैतान की आंखों और इंसानों की शर्मगाहों के दरमियान बिस्मिल्लाह (आड़, पर्दा) बन जाती है और यह दुआ पढ़े 

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

” अल्लाहुम्मा इन्नी अऊजु बिका मिनल खुबसि वल खबाइस “

اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوْذُ بِكَ مِنَ الْخُبْثِ وَالْخَبَائِث

” llahumma inni A-ujoo Bika Minal Khubsee Wal Khabaais

तर्जुमाअय अल्लाह मैं तेरी पनाह चाहता हूं ख़बीस जिन्नों से मर्द हो या औरत 

Baitul Khala Jane Ki Dua​ In Hindi

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

” अल्लाहुम्मा इन्नी अऊजु बिका मिनल खुबसि वल खबाइस “

तर्जमा हिंदी में:–अय अल्लाह मैं तेरी पनाह चाहता हूं ख़बीस जिन्नों से मर्द हो या औरत

Baitul Khala Jane Ki Dua​ In Arabic

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوْذُ بِكَ مِنَ الْخُبْثِ وَالْخَبَائِث

Tarjuma – ترجمہ اردو میںاے اللہ میں تیری پناہ چاہتا ہوں خبیث    جنوںسے مرد ہو یا عورت 

Baitul Khala Jane Ki Dua​ In English

Bismillāhir-raḥmānir-raḥīm

” llahumma inni A-ujoo Bika Minal Khubsee Wal Khabaais

English tarjama:- aye Allah main Teri panah chahta hun khabees jinnon se  mard ho ya aurat.

आप यहाँ नजासतों का ब्यान भी पढ़ सकते हैं

नजासते गलीजा के अहकाम

नजासत की दो किस्में हैं एक गलीजा, दूसरा खफीफा । नजासते गलीज़ा अगर कपड़े या बदन पर एक दिरहम से ज्यादा लग जाये तो उसका पाक करना फ़र्ज़ है बे पाक किये नमाज़ न होगी और अगर दिरहम के बराबर है तो पाक करना वाजिब है कि बे पाक किये नमाज पढ़ी तो मकरूहे तहरीमी वाजिबुल एआदह (यानी ऐसी नमाज़ फिर से दोहराना वाजिब है) और अगर दिरहम से कम है तो पाक करना सुन्नत है कि वे पाक किये नमाज़ हो जायेगी मगर खिलाफे सुन्नत होगी कि जिसका दोहराना बेहतर है।

मसला : अगर नसाजत गाढ़ी है जैसे पाखाना, लीद, गोबर तो दिरहम केबराबर या कम ज़्यादा का यह मतलब है कि वज़न में इतनी हो और अगर नजासत पतली हो जैसे पेशाब, शराब तो दिरहम से मुराद उसकी लंबाई चौड़ाई है। दिरहम का वजन शरीअत में इस जगह साढ़े चार माशा है और ज़कात में तीन माशा १-१/५ रत्ती और दिरहम की लंबाई चौड़ाई से यहां मुराद तक्रीबन हथेली की गहराई बराबर जगह है जो एक रुपया के फैलाव के बराबर जगह होती है।

(दुर्रे मुख्तार व बहारे शरीअत) नजासते खफीफा के अहकामः

नजासते खफीफा कपड़े के जिस हिस्सा मसलन आस्तीन, दामन, कली, कालर में जिस ऊज़्व मसलन हाथ, पैर, सर में लगी हो उसके चौथाई से कम में हो तो माफ है यानी नमाज़ हो जायेगी और अगर पूरी चौथाई में हो तो बे धोये नमाज़ न होगी। (आलमगीरी वगैरह)

नजासते गलीजा व खफीफा का फर्क कब?

मसला : नजासते गलीज़ा व खफीफा का फर्क कपड़े और बदन पर लगने में है लेकिन अगर किसी पतली चीज़ जैसे पानी, सिरका, दूध में एक कतरा भी पड़ जाये चाहे गलीज़ा हो यो खफीफा तो सबको बिल्कुल नजिस कर देगी जब तक कि वह चीज़ दह दर दह न हो।

नजासते गलीज़ा क्या क्या चीज़े हैं?

आदमी के बदन से जो ऐसी चीज़ निकले जिससे वुजू या गुस्ल जाता रहे वह नजासते गलीज़ा है। पाखाना, पेशाब, बहता खून, पीप, मुंह भर कै, हैज़ व निफास व इस्तेहाज़ा का खून, मनी, मज़ी, वदी, दुखती आंख का पानी, नाफ या पिस्तान का पानी जो दर्द से निकले और खुश्की के हर जानवर का बहता खून ख़्वाह हलाल हो या हराम हत्ता कि गिरगिट, छिपकली तक का खून और मुर्दार की चर्बी, मुर्दार का गोश्त और हराम चौपाये जैसे कुत्ता, बिल्ली, शेर, चीता, लोमड़ी, भेड़िया, गीदड़, गधा, खच्चर, हाथी, सुअर इन सबका पाखाना पेशाब और घोड़े की लीद और हर हलाल चौपाये का पाखाना जैसे गाय, भैंस का गोबर बकरी, ऊंट, नीलगाय, बारहसिंघा, हिरन की मेंगनी और जो परिन्द ऊंचा न उड़े  जैसे मुर्गा और बत ख़्वाह छोटी या बड़ी इन सब की बीट और हर किस्म की शराब और नशा लाने वाली ताड़ी और सेंधी, सांप का पाखाना पेशाब और उस जंगली सांप और जंगली मेढक का गोश्त जिनमें बहता खून होता है अगरचे ज़िबह किये गये हों यूं ही उनकी खाल अगरचे पकाई गई हो और सुअर का गोश्त हड्डी, खाल, बाल अगरचा ज़िबह किया गया हो यह सब नजासते गलीज़ा हैं।
(आलमगीरी वगैहर)

मसला : दूध पीते लड़के और लड़की का पेशाब नजासते गलीज़ा है यह जो अवाम में मशहूर है कि दूध पीते बच्चे का पेशाब पाक है यह बिल्कुल गलत है।

मसला : शीरख़्वार बच्चे ने दूध की कै की अगर मुंह भर है तो नजासते गलीज़ा है।

मसला : छिपकली और गिरगिट का खून नजासते गलीज़ा है।

मसला : हाथी की सूंड की रुतूबत और शेर कुत्ते चीते और दूसरे दरिन्दे चौपायों का लुआब (थूक) नजासते गलीज़ा है।

मसला : नजासते गलीज़ा ख़फीफा में मिल जाये तो कुल गलीज़ा हो जाये।

मसला : किसी कपड़े या बदन पर चंद जगह नजासते गलीज़ा थी और किसी जगह दिरहम के बराबर नहीं मगर मजमुआ दिरहम के बराबर है तो दिरहम के बराबर समझी जायेगी और जायद है तो ज़ायद समझी जायेगी नजासते खफीफा में भी मजमुआ ही पर हुक्म दिया जायेगा।

नजासते खफीफा कौन कौन सी चीजें हैं?

जिन जानवरों का गोश्त हलाल है जैसे गाय, बैल, भैंस, भेड़, बकरी, ऊंट, नीलगाय वगैरह इनका पेशाब और घोड़े का पेशाब भी और जिस परिन्द का गोश्त हराम है ख़्वाह वह शिकारी हो या न हो जैसे कौआ, चील, शिकरा, बाज़, बहरी, इसकी बीट (चिड़ियों का पाखाना) नजासते खफीफा है।

मसला : हराम जानवरों का दूध नजिस है अलबत्ता घोड़ी का दूध पाक है मगर खाना जायज़ नहीं।

मसला : जो हलाल परिन्द ऊंचे उड़ते हैं जैसे कबूतर, फाख्ता, मैना, मुर्गा बाज इनकी बीट पाक है।

मसला :चमगादड़ की बीट और पेशाब दोनों पाक हैं।

मसला : मछली और पानी के दीगर जानवर और खटमल और मच्छर का खून पाक है।

मसला : पेशाब की निहायत बारीक छींटे सूई की नोक के बराबर की बदन या कपड़े पर पड़ जाये तो कपड़ा और बदन पाक रहेगा।

मसला : जिस कपड़े पर पेशाब की ऐसी ही बारीक छींटें पड़ गई अगर वह कपड़ा पानी में पड़ गया तो पानी भी नापाक न होगा।

मसला : जो खून जख्म से बहा न हो वह पाक है।

मसला : गोश्त, तिल्ली, कलेजी में जो खून रह गया पाक है और अगर यह चीजें बहते खून में सन जायें तो नापाक हैं बगैर धोये पाक न होंगी।

मसला : अगर नमाज़ पढ़ी और जेब में अंडा है तो अगरचे उसकी ज़र्दी खून हो गई हो नमाज़ हो जायेगी।

मसला : पेशाब, पाखाना के बाद ढेले से इस्तिन्जा कर लिया फिर उस जगह से पसीना निकल कर बदन या कपड़े पर लगा तो बदन और कपड़ा नापाक न होंगे।

मसला : नापाक चीज़ों का धुआ अगर कपड़े या बदन पर लगे तो कपड़ा और बदन नजिस न होगा।

मसला : रास्ते का कीचड़ पाक है जब तक उसका नजिस होना मालूम न हो तो अगर पांव या कपड़े में लगी और बे धोये नमाज़ पढ़ ली नमाज़ हो गई मगर धो लेना बेहतर है।

मसला : सड़क पर पानी छिड़का जा रहा था ज़मीन से छीटें उड़कर कपड़े पर पड़ी कपड़ा नजिस न हुआ लेकिन धो लेना बेहतर है।

जूठे और पसीना का ब्यान

किस किस का जूठा पाक है?

मसला : आदमी (चाहे जुनूब (बेगुस्ल) हो या हैज़ व निफास वाली औरत) उसका जूठा पाक है।

मसला : काफ़िर का जूठा भी पाक है मगर इससे बचना चाहिये जैसे थूक, रीठ, खखार कि पाक हैं मगर आदमी इनसे घिन करता है।

 

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