Surah Naas In Hindi & Urdu
सूरह नास मक्की सूरत है इसमें छह आयात और एक रुकु है।
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
قُلۡ اَعُوۡذُ بِرَبِّ النَّاسِۙ
(2) मलिकिन नास o
مَلِكِ النَّاسِۙ
(3) इलाहिन नासo
اِلٰهِ النَّاسِۙ
(4) मिन शर रिल वसवा सिल खन्नासo
مِن شَرِّ ٱلْوَسْوَاسِ ٱلْخَنَّاسِ
(5) अल्लज़ी युवस विसु फी सुदूरिन नासo
ٱلَّذِى يُوَسْوِسُ فِى صُدُورِ ٱلنَّاسِ
(6) मिनल जिन्नति वन नासo
مِنَ ٱلْجِنَّةِ وَٱلنَّاسِ
Surah Naas In Arabic
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
قُلۡ اَعُوۡذُ بِرَبِّ النَّاسِۙ
مَلِكِ النَّاسِۙ
اِلٰهِ النَّاسِۙ
مِن شَرِّ ٱلْوَسْوَاسِ ٱلْخَنَّاسِ
ٱلَّذِى يُوَسْوِسُ فِى صُدُورِ ٱلنَّاسِ
مِنَ ٱلْجِنَّةِ وَٱلنَّاسِ
सूरह नास हिन्दी में और तर्जुमा
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
आप कहिए: मैं सब लोगों के रब की पनाह लेता हूं o
(2) मलिकिन नास o
सब लोगों के बादशाह कीo
(3) इलाहिन नासo
सब लोगों के माबूद की (पनाह लेता हूं)o
(4) मिन शर रिल वसवा सिल खन्नासo
पीछे हट कर छिप जाने वाले के वसवसा डालने के शर सेo
(5) अल्लज़ी युवस विसु फी सुदूरिन नासo
जो लोगों के सीने में वसवसा डालता हैo
(6) मिनल जिन्नति वन नासo
जो जिन्नात और इंसान में से है
Surah Naas In English & Translation
Bismillah-hirrahman-nirraheem
(1) Qul A’uzu Birabbin-Naas:
Aap kahiye: main sab logon ke Rab ki panaah leta hoon.
(2) Malikin-Naas:
Sab logon ke Badshah ki.
(3) Ilaahin-Naas:
Sab logon ke Ma’bood ki (panaah leta hoon).
(4) Min Sharril Waswaasil Khannaas:
Peeche hat kar chhip jaane wale ke waswasa daalne ke shar se.
(5) Allazi Yuwaswisu Fee Sudoorin-Naas:
Jo logon ke seene mein waswasa daalta hai.
(6) Minal Jinnati Wan-Naas:
Jo jinnat aur insaan mein se hai.
सूरह नास का तर्जुमा
आप कहिए: मैं सब लोगों के रब की पनाह लेता हूं oसब लोगों के बादशाह कीoसब लोगों के माबूद की (पनाह लेता हूं)oपीछे हट कर छिप जाने वाले के वसवसा डालने के शर सेoजो लोगों के सीने में वसवसा डालता हैoजो जिन्नात और इंसान में से है
surah naas ki fazilat
इंसान की बाक़ी मखलुक पर फज़ीलत: अल-नास 1-3 में फरमाया: आप कहिए; मैं सब लोगों के रब की पनाह लेता हूं० इस आयत में इंसानों के रब की पनाह लेने का हुक्म है हालंके अल्लाह ताला तमाम मखलूक का रब है और सब का मालिक मर्बी और मुस्लह है इस में यह तंबीह करना है कि तमाम मखलूक में अल्लाह ताला के नजदीक जो मखलूक सबसे अफजल है वह इंसान है इसलिए अल्लाह ताला ने अपने रब होने की निस्बत इंसान की तरफ की है फिर अल्लाह ताला ने इंसानों के बादशाह और इंसानों के माबूद का जिक्र फरमाया।
इस में यह तंबीह है के इंसानों के बादशाह भी होते हैं लेकिन तमाम इंसानों का बादशाह सिर्फ अल्लाह है और बाज़ इंसान ऐसे भी होते हैं जिनकी इबादत की जाती है लेकिन हकीकत में वह इबादत के मुस्तहीक नहीं है इबादत के लायक़ नहीं है, इबादत का मुस्तहीक वह है जो तमाम इंसानों का माबूद है।
जो शख्स बादशाह होता है और मुल्क का सरबराह होता है वहीं पूरे मुल्क पर हाकिम होता है वही मुल्क के बसींदो के लिए कानून बनाता है पूरे मुल्क में इसी की फर्मा रवाई होती है और इसी का हुक्म चलता है ,अल्लाह ताला ने फरमाया ।
((2)मलिकिन नास o) यानि वही दुनिया के तमाम लोगों का बादशाह और हाकीम हकीकी है इसी की तमाम जहानों में हुकूमत और फार्मा रवाई है इस ने इरशाद फरमाया।
(इन्निल हुक्मु इल्ला लिल्लाह ०) (अल आनाम 57) हुकम देने का हक सिर्फ अल्लाह का है।
जब सब इंसानों को पैदा अल्लाह ताला ने किया है इसी ने इनकी परवरिश की है तो तमाम इंसानों की मैयशत और मोवाश्रत में हुक्म देने का हक भी सिर्फ अल्लाह ताला का है।