Namaz ka Tarika in Hindi
Namaz ka Tarika in Hindi: नमाज़ हर मुसलमान मर्द और औरत को ये जान लेना चाहिए के ईमान और अकीदों को सही कर लेने के बाद सब फर्जों में से सब से बड़ा फर्ज नमाज़ है।
नमाज़ के शर्त
नमाज़ का तरीका जानने से पहले नमाज़ की शर्तें जाननी जरूरी है । जिसके बिना नमाज़ शुरू नहीं हो सकती है।
नमाज़ की छः शर्तें हैं, जिनके बगैर नमाज़ सिरे से होती ही नहीं है। अगर उनमें से कोई एक भी शर्त न पाई गई तो नमाज़ न होगी।
- Paaki
- Saramgaah Ko Chhupana
- Namaz Ka Waqt
- Qibla Ki Taraf Muh
- Niyat Karna
- Takbir-e-Tahrima
1. तहारत
यानी नमाजी का बदन और कपड़े उस जगह का पाक होना, जिस पर नमाज पढ़ें, नमाज़ की जगह के पाक होने का मतलब यह है कि नमाज़ी के क़दम के नीचे की जगह और सजदे में जो आज़ा ज़मीन पर लगते हैं, उनके नीचे की जगहें पाक हों |
2. सतर का ढँका होना
मर्द का सतर नाफ के नीचे से घुटनों तक है और औरत का सारा बदन ही सतर है, सिवाए मुँह, हथेली और क़दम के। नमाज़ के लिए सतर का ढँका होना लाजिमी है।
3. इस्तक़बाल क़िब्ला
यानी नमाज़ में क़िबले की तरफ़ मुँह करना, अगर क़िब्ले की सिम्त में शुबाह हो तो किसी से पूछ लें।
4. वक्त
यानी नमाज़ को वक्त के अंदर पढ़ना, अगर वक्त से पहले पढ़ी तो न हुई वक्ते नमाज़।
5. नीयत
दिल के पक्के इरादे को नीयत कहते हैं, ज़बान से कहना बेहतर है। नीयत की मैंने कहें, ये न कहें नीयत करता हूँ।
6. तकबीर तहरीमा
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम हर नमाज़ को अल्लाहो अकबर से शुरू फ़रमाते और नमाज़ की यही पहली तकबीर है, जिसका नाम तकबीरे तहरीमा है।
नमाज़ की रकात।
1. Fajr (Dawn Prayer)
- Total Raktey: 2 Sunnah + 2 Farz
- Fazar Ki Namaz Suraj Nikalne Se Pahle Padhi Jati Hai
2. Zuhr (Noon Prayer)
- Total Raktey: 4 Sunnah + 4 Farz + 2 Sunnah + 2 Nafl
- Johar Kar Waqt- Yah Dopahar Ke Waqt Ada Ki Jaati Hai
3. Asr (Afternoon Prayer)
- Total Raktey: 4 Sunnah + 4 Farz
- Asr Ki Namaz Yah Dopahar Ke Baad Padhi Jaati Hai
4. Maghrib (Evening Prayer)
- Total Raktey: 3 Farz + 2 Sunnah + 2 Nafl
- Magrib Ki Namaz Suraj Doobne Ke Baad Padhi Jaati Hai
5. Isha (Night Prayer)
- Total Raktey: 4 Sunnah + 4 Farz + 2 Sunnah + 2 Nafl
- Yah Raat Me Padhi Jaati Hai Sone Ke Waqt Se Pahle
नमाज़ पढ़ने का तरीका
सबसे पहले आप तकबीर यानि के अल्लाहु अकबर बोलते हुवे दोनों हांथो को कानो की लो तक उठाये उसकेबाद अपने दोनों हांथो को अपने नाभ के निचे बांध लीजिये याद रहे कभी भी बायां हाँथ निचे होना चाहिए और दाहिना हाँथ ऊपर आप अपने बाएं हांथो को बिलकुल खुला रखें और अपने दाहिने हांथो के पंजो को बाएं हांथो के गट्टे पर रख लें आपकी दाहिने हांथो की तीन उंगलिया खुली होने चाहिए नियत बाँधने के बाद ।
अब तस्बीह सना पढ़ें उसके बाद :-
तअउवुज (आऊजुबिल्लाह) और उसके तस्मिया (बिस्मिल्लाह) पढ़ें फिर उसके बाद सूरेह फातिहा पढ़ें यानि के अलहमदू लिल्लाह पढ़े उसके बाद कोई सा भी सुरह जैसे कुल या और कोई सा भी पढ़े आपका सुरह जब पूरा हो जाए उसके बाद आपको तकबीर कहते हुवे रुकू के लिए झुक जाइये रुकूअ में आप अपने दोनों हथेलियों को घुटनो पर मजबूती से पकड़िए अपने पिण्डुलियों को सीधी कड़ी रखिये दोनों कुहनियों को भी सीधे रखिये कमर को फैलाएं अपने सर को कमर के सीधे में रखिये और नजर को अपने पैरों पर रखिये उसके बाद तीन बार आप तस्बीह सुबहा-न रब्बियल अज़ीम पढ़ें . फिर उसके बाद समीअल्लाहु लिमन हमीदह बोलते हुवे आप खड़े हो जाएँ और फिर रब्बना लकल हम्द बोलिये फिर आप तकबीर कहते हुवे सजदे के लिए झुकिए सबसे पहले आप जमीन पर अपने दोनों घुटने को रखिये फिर दोनों हांथों को रखिये फिर अपने माथे को जमीन पर रखें आपका नाक जमीन में लगा होना चाहिए किसी भी नमाज़ी को सजदा के दौरान माथे को जमीन पर रखना जरुरी है नहीं तो आपका नमाज नहीं होगा उसके बाद आप तकबीर बोलते हुवे दोनों जानिब बैठ जाएँ बैठने के लिए आप घुटने को मोड़ कर पहले आप अपना बायां पैर को जमीन पर बिछा लीजिये उसके बाद अपने दाहिने पैर के पंजे की उँगलियों पर बैठ जाईये और अपने दोनों हांथो को अपने पैरों के दोनों घुटने के ऊपर रख लीजिये और हांथो के उँगलियों को क़िबला के तरफ ही रखें आधे मिंट के बाद यानि के आराम से बैठ जाने के बाद आप अपने दूसरे सजदे को मुकम्मल कीजिये तकबीर को बोलते हुवे आप सजदे में जाईये और फिर सुबहा-न रब्बिल अअ ला पढ़ें उसके बाद तकबीर को बोलते हुवे आप सीधे खड़े हो जाईये सजदे से उठने या खड़े होने का बेहतर तरीका यह है की सबसे पहले आप अपनी पेशानी को जमीन से उठाइये फिर अपने दोनों हांथो को उठा कर अपने दोनों घुटने पर रखिये उस के बाद सीधे खड़े हो जाइये .. अब आपकी पहली रकअत नमाज़ मुकम्मल हो चूका है इसी तरह आपको दूसरी रकअत को पूरा करना है दूसरे रकअत में आप सबसे पहले सुरह फातिहा पढ़ें उसके बाद आप कोई सा भी सुरह पढ़ें लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा की दूसरे रकअत में पढ़ा जाने वाला सुरह पहली रकअत की पढ़ी जाने वाली सुरह से बड़ी न हो यानि के दूसरी रकअत की सुरह पहली रकअत के सुरह से छोटा होना चाहिए दूसरे सजदे को मुकम्मल करने के बाद आप अपने पैर के पंजो पर बैठ जाइये उसके बाद अत्तहियात के दरूद शरीफ पढ़िए और फिर उसके बाद दुआ ए मासुरा पढ़िए फिर आप सलाम यानी के (अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह) कहते हुवे अपनी दाहिने तरफ अपने सर को मोड़िये फिर दुबारा उसी तरह अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह बोलते हुवे अपनी सर को बाए तरफ मोड़ें अब आपकी नमाज़ मुकम्मल हो चूका है इसी तरह आप 3 4 रकात की नमाज़ को भी पढ़ सकते है नमाज़ पढ़ने के लिए सबसे जरुरी बात यह की आपको कुछ कुरआन शरीफ की सुरह को याद करना होगा
नमाज की नियते
नमाज़े फज्र की दो रकअत सुन्नतः–
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ फज्र की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
नमाज़े फज्र की दो रकअत फ़र्ज़:-
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ फज्र की फज्र के अल्लाह तआला के वास्ते मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
नमाज़े जुहर की चार रकात सुन्नतः–
नियत की मैंने चार रकात नमाज़ जुहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
नमाज़े जुहर की चार रकात फ़र्ज़:-
नियत की मैंने चार रकात नमाज़ जुहर की फज्र वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
बाद नमाज़े जुहर की दो रकात सुन्नतः-
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ जुहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
जुहर की दो रकात नफिलः-
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ जुहर की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
अस्र की चार रकात सुन्नतः-
नियत की मैंने चार रकात नमाज़ अस्र की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
अस्र की चार रकात फर्ज:-
नियत की मैंने चार रकात नमाज़ अस्र की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
मगरिब की तीन रकात फर्ज:-
नियत की मैंने तीन रकात नमाज़ मगरिब की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
मगरिब की दो रकात सुन्नतः–
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ मगरिब की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
ईशा की चार रकात सुन्नतः–
नियत की मैंने चार रकात नमाज़ ईशा की सुन्नत रसूलपाक के फर्ज से पहले वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
ईशा की चार रकात फर्ज:-
नियत की मैंने चार रकात नमाज़ ईशा की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
बाद ईशा दो रकात सुन्नतः–
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ ईशा की सुन्नत रसूलपाक के फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
दो रकात नफल:-
नियत की मैंने दो रकात नमाजे नफल की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ़ के तरफ़ अल्लाहु अकबर.
वित्र की तीन रकात वाजिबः–
नियत की मैंने तीन रकात नमाज़ वित्र की वाजिब वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
वित्र के बाद की दो रकात नमाज़ नफल:-
नियत की मैंने 2 रकात नमाजे नफल की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ़ के तरफ़ अल्लाहु अकबर.
क्यूं के क़ुरान अज़ीम और अहादिसो में बहुत ज्यादा और बार बार इसकी ताकीद आई है याद रखें के जो नमाज़ को फर्ज ना माने या नमाज़ को एक हल्की और बे कदर चीज़ समझ कर इस तरफ से बेत्तवज्जोही बरते वह काफिर है।
और इस्लाम से खारिज़ है और जो शख़्स नमाज़ ना पढ़े वह बड़ा गुनहगार और गजबे जब्बार में गिरफ्तार है।
जहन्नुम का हकदार है और वो इस लायक है के बादशाहे इस्लाम पहले इस को तंबीह करे वा सजा दे फिर भी वो नमाज़ ना पढ़े तो इस को कैद कर दे यहां तक के तौबा करे और नमाज़ पढ़ने लगे बल्कि इमाम मालिक इमाम साफई