< Dua E Masura In Hindi / दुआ ए मासुरा हिंदी में ​
Dua E Masura In Hindi / दुआ ए मासुरा हिंदी में ​

Dua E Masura In Hindi / दुआ ए मासुरा हिंदी में ​

Dua E Masura / दुआ ए मासुरा हिंदी में

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

” अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी जुलमन कसीरा वला यग़फिरुज़-जुनूबा इल्ला अनता फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन इनदिका वर हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ुरूर्र रहीम “

 ” اَللّٰھُمَّ أِنِّیْ ظَلَمْتُ نَفْسِیْ ظُلْمًا کَثِیْرًا وَّلَا یَغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا أَنْتَ فَاغْفِرْلِیْ مَغْفِرَةً مِّنْ عِنْدِكَ وَارْحَمْنِیْ أِنَّكَ أَنْتَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمَ “

“Allahumma inni zalamtu nafsi zulman kathira wala yaghfiruz-zunuba illa anta faghfirli maghfiratan min ‘indika warhamni innaka antal ghafoorur-raheem.”

Dua E Masura in hindi

Dua E Masura In Hindi / दुआ ए मासुरा हिंदी में ​
Dua E Masura in hindi

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

” अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी जुलमन कसीरा वला यग़फिरुज़-जुनूबा इल्ला अनता फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन इनदिका वर हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ुरूर्र रहीम “

Dua E Masura In English

Dua E Masura In Hindi / दुआ ए मासुरा हिंदी में ​
Dua E Masura In English

Bismillāhir-raḥmānir-raḥīm

“Allahumma inni zalamtu Nafsi zulman kathira wala yaghfiruz-zunuba illa anta faghfirli maghfiratan min ‘indika warhamni innaka antal ghafoorur-raheem.”

Dua E Masura In Urdu

Dua E Masura In Hindi / दुआ ए मासुरा हिंदी में ​
Dua E Masura In Urdu

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيم

 ” اَللّٰھُمَّ أِنِّیْ ظَلَمْتُ نَفْسِیْ ظُلْمًا کَثِیْرًا وَّلَا یَغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا أَنْتَ فَاغْفِرْلِیْ مَغْفِرَةً مِّنْ عِنْدِكَ وَارْحَمْنِیْ أِنَّكَ أَنْتَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمَ “

अपने इल्म के इज़ाफ़े के लिए आप नमाज़ के मसाइल पढ़ सकते हैं |

  • नमाज़ :
ईमान व अकीदा सही करने के बाद सब फर्ज़ो से बड़ा फर्ज नमाज है। कुरआन व हदीस में इसकी बहुत ताकीद आई। जो नमाज़ को फर्ज न माने या हल्का जाने वह काफिर है। और जो न पढ़े वह बड़ा गुनाहगार। आखरत में जहन्नम में डाला जायेगा बादशाहे इस्लाम उसको कत्ल कर दे।

किस उम्र में बच्चे को नमाज़ सिखाई जाये?

मसला : बच्चा जब सात बरस का हो जाये तो उसे नमाज पढ़ना बताया जाये और जब दस बरस का हो तो मारकर पढ़वाई जाये। कब्ल इसके कि हम नमाज पढ़ने का तरीका बताये इन छः बातों को बताते हैं जिनके बगैर नमाज शुरू नहीं हो सकती इन छः बातों को शरायते नमाज़ कहते हैं। यानी नमाज़ की छः शर्ते हैं।

शराइते नमाज़ः

  1. तहारत.
  2. सतरे औरत.
  3. वक्त,
  4. इस्तिकबाले किब्ला,
  5. नीयत.
  6. तकबीरे तहरीमा

पहली शर्तः यानी तहारत इसका मतलब यह है कि नमाज़ी के बदन, कपड़े और नमाज़ की जगह पर कोई नजासत जैसे पेशाब, पाखाना, खून, शराब, गोबर, लीद, मुर्गी की बीट वगैरह न लगी हो और नमाज़ी वे गुस्ल, वे बुजू भी न हो।

दूसरी शर्तः सतरे औरत यानी मर्द का बदन नाफ से लेकर घुटनों तक ढका हो, घुटने खुले न रहें और औरत का तमाम बदन ढका हो सिवाए मुंह और हथेली के और टखनों तक पैर के और टखने भी ढके रहें।

तीसरी शर्तः वक्त यानी जिस नमाज़ के लिये जो वक्त मुर्कार है वह नमाज़ उसी वक़्त में पढ़ी जाये जैसे फज की नमाज़ सुबह सादिक से लेकर सूरज निकलने से पहले तक पढ़ी जाये और जुहर की सूरज ढलने के बाद से दोगुना हर चीज़ के साया के दोगुना होने तक अलावा उसके साया असली के। और • अस्र की साया के दोगुना होने के बाद से सूरज डूबने तक और मग्रिब की सूरज डूबने के बाद से सफेदी गायब होने तक और ईशा की सफेदी गायब होने के बाद से सुबह सादिक शुरू होने से पहले तक।

चोथी शर्त : इस्तिकबाल किब्ला यानी काबा शरीफ की तरफ मुंह करना।

पांचवी शर्त: नीयत यानी जिस वक्त की जो नमाज़ फर्ज़ या वाजिब या सुन्नत या नफ़्ल या कज़ा पढ़ना हो दिल में उसका पक्का इरादा करना कि यह नमाज पढ़ रहा है।

छटी शर्तः तकबीरे तहरीमा यानी अल्लाहु अक्बर कहना यह आखरी शर्त है कि इसके कहते ही नमाज़ शुरू हो गई अब अगर किसी से बोला या कुछ खाया पिया या कोई काम खिलाफ नमाज किया तो नमाज टूट जायेगी। पहली पांच शर्तों का तकबीरे तहरीमा से पहले और खत्म नमाज तक मौजूद रहना जरूरी है वरना नमाज़ न होगी।

नमाज़ की पहली शर्त तहारत का ब्यान

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