Namaz E Janaza Padhne Ka Tarika
Namaz E Janaza Padhne Ka Tarika | नमाज़-ए-जनाजा फर्ज़े किफ़ाया है। मतलब ये की अगर किसी एक ने भी पढ़ ली तो सब बरी हो गए। अगर किसी ने नहीं पढ़ी तो जितने लोगों को भी जनाजे की खबर दी जा चुकी है वो सब लोग गुनहगार होंगे। जनाजे की नमाज में सूरह फातिहा सूरा रुकू सजदा नहीं है। खड़े-खड़े ही नमाज अदा की जाती है।
Namaz E Janaza के फ़रज़
नमाज़-ए-जनाजा में दो चीजें फ़र्ज़ हैं ।
(1) चार बार तकबीर-।अल्लाहु अकबर कहना
(2) क़याम करना यानि कि खड़ा होना।
Namaz E Janaza में तीन सुन्नते
नमाज़-ए-जनाजा में तीन सुन्नते मुवक़्क़दा है –
- सना पढ़ना
- दरूद शरीफ पढ़ना
- मय्यत के लिए दुआ करना
Namaz E Janaza की नियत
नियत– नियत की मैं ने नमाज़-ए-जनाजा की चार तकबीरों के साथ वास्ते अल्लाह ताला के और दुआ इस मैय्यत के लिए मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ ( मुख्तदी इतना इज़ाफा करे) पीछे इस ईमाम के फिर कानों तक दोनों हाथ उठा कर अल्लाहु अकबर कहते हुए दोनो हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले फ़िर सना पढ़े।
सना पढ़े– सुबहानकल्लाहुम्मा वबि ‘हम्दिका व तबारक कस्मुका व त’ आला जद्दुका व ला इलाहा गैरुक।
फ़िर बगैर हाथ उठाए अल्लाहु अकबर कहे और दरूदे इब्राहिमी पढ़े जो पंचवक्ता नमाजो में पढ़ा जाता है।
दरूद ए इब्राहिम पढ़े – बिस्मिल्लाहीररहमानिर रहीम अल्लाहुम सल्ली अल्ला मुहम्मदीन व अल्ला आली मुहम्मदीन कमा सल्ल्ल्यता अल्ला इब्राहीमा व अल्ला अल्ली इब्राहीमा इन्नका हमिदुन माजिद, अल्लाहुम्मा बारीक़ अल्ला मुहम्मदीन व अल्ला आली मुहम्मदीन कमा बक्र्त्ता अल्ला इब्राहीमा व अल्ला आली इब्राहीमा इन्नका हमिदुन मजिद।
फिर बगैर हाथ उठाए अल्लाहु अकबर कहे।
बालिग मर्द व औरत की नमाज़-ए-जनाजा की दुआ
अल्लाहुम्मा मगफिरलि हैयिना व मैयितिना व शाहिदिना व गाइबिना सगीरिना व कबीरिना व ज क रिना व उनसाना अल्लाहुम्मा मन अहयैतहू मिन्ना फअह् यही अलल इस्लामी व मन तवफ्फैतहू मिन्ना फतवफ्फहू अलल ईमान।
इस के बाद तकबीर कहे- फ़िर बगैर कोई दुआ पढ़े हाथ खोल कर सलाम फेर दें
नाबालिग लड़के की नमाज़-ए-जनाजा की दुआ
अल्लाहुम्मज्अल्ह लना फरतौं वज्अल्हूलना अज्रौं व जखौं वैज्ञअल्हू लना शाफिऔं व मुशफ्फआ ।
नाबालिग लड़की की नमाज़-ए-जनाजा की दुआ
अल्लाहुम्म अज’ल्हा लाना फरतन व अज’ ल्हा लाना अज्रा व जुखर,व अज’ल्हा लाना शाफ़ि‘ अतन व मुशफ़ि‘ अता ।
मसला– मैय्यत को ऐसे कब्रिस्तान में दफ़न करना बेहतर है जहां नेक लोगों की कब्रें हों ( फतावाह आलमगिरी सवाल स -156)